जो पहले दिन से ही दिल का कहा न करते हम.
तो अब यह लोगों की बातें सुना न करते हम.
अगर न दाम' में जुल्फ़े-सियह के आ जाते,
तो यूँ ख़राब-ओ-परीशां रहा न करते हम.
न भरते दम जो किसी शोला-रू की ख्वाहिश का,
तो ठंडी सांस हमेशा भरा न करते हम.
अगर न आँख तगाफुल-शिआर' से लगती,
तो बैठे बैठे यूँ चौंक उठा न करते हम.
उस आफ़ते-दिल-ओ-जाँ पे अगर न मर जाते,
तो अपने मरने की हरदम दुआ न करते हम.
अगर न हंसना हंसाना किसी का भा जाता,
तो बात बात पे यूँ रो दिया न करते हम.______________ शब्दार्थ_________________
दाम=जाल | जुल्फे-सियह=काले बाल | शोला-रू=आग की लपटों जैसा | तगाफुल शिआर=लापरवाह |
_____________________________________