पानी में मीन पियासी रे.
मोये सुन सुन आवे हांसी रे.
पानी में मीन पियासी रे.
जल-थल सागर पूर रहा है,
भटकत फिरे उदासी रे.
पानी में मीन पियासी रे.
आतमज्ञान बिना नर भटके,
कोई मथुरा, कोई कासी रे.
पानी में मीन पियासी रे.
गंगा जाय गोदावरी जाय
भक्ति बिन सब नासी रे.
पानी में मीन पियासी रे.
कहत कबीर सुनो भाई संतों
सहज मिले अविनासी रे.
पानी में मीन पियासी रे.
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