प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर !
युद्धक्षेत्र में दिखला भुजबल,
रहकर अविजित, अविचल प्रतिपल,
मनुज पराजय के स्मारक हैं, मठ, मस्जिद, गिरजाघर !
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर !
मिला नहीं जो स्वेद बहाकर,
निज लोहू में भीग नहाकर,
वर्जित उसको, जिसे ध्यान है जग में कहलाये नर !
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर !
झुकी हुई अभिमानी गर्दन,
बंधे हाथ, नत-निष्प्रभ लोचन,
यह मनुष्य का चित्र नहीं है, पशु का है रे कायर !
प्रार्थना मत कर, मत कर, मत कर !
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