क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं |
उस सर पे झूम के जो घटाएं गुज़र गयीं |
दीवाना पूछता है ये लहरों से बारहा,
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गयीं |
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ,
विरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गयीं |
पैमाना टूटने का कोई ग़म नहीं मुझको,
ग़म है तो ये कि चाँदनी रातें बिखर गयीं |
पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे,
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गयीं |
उस सर पे झूम के जो घटाएं गुज़र गयीं |
दीवाना पूछता है ये लहरों से बारहा,
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गयीं |
अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ,
विरानियाँ तो सब मिरे दिल में उतर गयीं |
पैमाना टूटने का कोई ग़म नहीं मुझको,
ग़म है तो ये कि चाँदनी रातें बिखर गयीं |
पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे,
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गयीं |
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