जनम तौ ऐसेहिं बीत गयौ।
जैसे रंक पदारथ पाये, लोभ बिसाहि लयौ॥
जनम तौ ऐसेहिं बीत गयौ।
बहुतक जन्म पुरीष परायन, सूकर-स्वान भयौ।
अब मेरी – मेरी कर बौरे, बहुरौ बीज बयौ॥
जनम तौ ऐसेहिं बीत गयौ।
नर कौ नाम पारगामी हौ, सो तोहि स्याम दयौ।
रजनी गत बासर मृगतृष्णा, रस हरि कौ न चयौ।
सूर नन्द-नन्दन जेहिं
बिसरयौ, आहूहिं आप हरौ॥
जनम तौ ऐसेहिं बीत गयौ।
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