अपने हाथों की लकीरों में सजा ले मुझको.
मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको.
मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचा के दामन,
मैं जो अगर फूल हूँ तो जुड़े में सजा ले मुझको.
मैं खुले दर के किसी घर का हूँ सामाँ प्यारे,
तू दबे पाँव कभी आके चुरा ले मुझको.
तर्के उल्फत' की कसम भी कोई होती है कसम,
तू कभी याद तो कर, भूलने वाले मुझको.
मुझको तू पूछने आया है वफ़ा के माने,
यह तेरी सादा दिली मार न डाले मुझको.
मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको.
मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचा के दामन,
मैं जो अगर फूल हूँ तो जुड़े में सजा ले मुझको.
मैं खुले दर के किसी घर का हूँ सामाँ प्यारे,
तू दबे पाँव कभी आके चुरा ले मुझको.
तर्के उल्फत' की कसम भी कोई होती है कसम,
तू कभी याद तो कर, भूलने वाले मुझको.
मुझको तू पूछने आया है वफ़ा के माने,
यह तेरी सादा दिली मार न डाले मुझको.
_____________________
तर्के उल्फत = सम्बन्ध विच्छेद