मैं कम्पन हूँ तू करुण राग
मैं आंसू हूँ तू है विषाद,
मैं मदिरा तू उसका खुमार
मैं छाया तू उसका अधार;
मेरे भारत मेरे विशाल
मुझको कह लेने दो उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
जिनसे कहती बीती बहार
'मतवाली जीवन है असार'
जिन झंकारों के मधुर गान
ले गया छीन कोई अजान;
उन तारों पर बनकर विहाग
मंडरा लेने दो हे उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
कहता है जिनका व्यथित मौन
'हम सा निष्फल है आज कौन'?
निर्धन के धन सी हास-रेख
जिनकी जग ने पायी न देख,
उन सूखे ओठों के विषाद-
में मिल जाने दो हे उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
जिन पलकों में तारे अमोल
आंसू से करते हैं किलोल,
जिन आँखों का गौरव अतीत
कहता 'मिटना है मधुर जीत'
उस चिंतित चितवन में विहास
बन जाने दो मुझको उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
फूलों सी हो पल में मलिन
तारों सी सूने में विलीन,
ढुलती बूंदों से ले विराग
दीपक से जलने का सुहाग;
अंतरतम की छाया समेट
मैं तुझमें मिट जाऊं उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
मैं आंसू हूँ तू है विषाद,
मैं मदिरा तू उसका खुमार
मैं छाया तू उसका अधार;
मेरे भारत मेरे विशाल
मुझको कह लेने दो उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
जिनसे कहती बीती बहार
'मतवाली जीवन है असार'
जिन झंकारों के मधुर गान
ले गया छीन कोई अजान;
उन तारों पर बनकर विहाग
मंडरा लेने दो हे उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
कहता है जिनका व्यथित मौन
'हम सा निष्फल है आज कौन'?
निर्धन के धन सी हास-रेख
जिनकी जग ने पायी न देख,
उन सूखे ओठों के विषाद-
में मिल जाने दो हे उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
जिन पलकों में तारे अमोल
आंसू से करते हैं किलोल,
जिन आँखों का गौरव अतीत
कहता 'मिटना है मधुर जीत'
उस चिंतित चितवन में विहास
बन जाने दो मुझको उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
फूलों सी हो पल में मलिन
तारों सी सूने में विलीन,
ढुलती बूंदों से ले विराग
दीपक से जलने का सुहाग;
अंतरतम की छाया समेट
मैं तुझमें मिट जाऊं उदार!
फिर एक बार बस एक बार!
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