पढने और संकलन का शौक ही इस ब्लॉग का आधार है... महान कवि, शायर, रचनाकार और उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ.... हमारे मित्र... हमारे गुरु... हमारे मार्गदर्शक... निश्चित रूप से हमारी बहुमूल्य धरोहर... विशुद्ध रूप से एक अव्यवसायिक संकलन जिसका एक मात्र और निःस्वार्थ उद्देश्य महान काव्य किवदंतियों के अप्रतिम रचना संसार को अधिकाधिक काव्य रसिकों तक पंहुचाना है... "काव्य मंजूषा"

Thursday 9 August 2012

नया संसार

चाहता है यह पागल प्यार,
अनोखा एक नया संसार!

कलियों के उच्छ्वास शून्य में ताने एक वितान,
तुहिन-कणों पर मृदु कम्पन से सेज बिछा दें गान, 
जहां सपने हों पहरेदार;
अनोखा एक नया संसार!

करते हों आलोक जहां बुझ बुझ कर कोमल प्राण, 
जलने में विश्राम जहां मिटने में हो निर्वाण,
वेदना मधु-मदिरा की धार;
अनोखा एक नया संसार!

मिल जावे उस पार क्षितिज के सीमा सीमाहीन,
गर्वीले नक्षत्र धरा पर लोटें हो कर दीन, 
उदधि हो नभ का शयनागार;
अनोखा एक नया संसार!

जीवन की अनुभूति-तुला पर अरमानों से तोल,
यह अबोध मन मूक व्यथा से ले पागलपन भोल,
करें दृग आंसू का व्यापार;
अनोखा एक नया संसार. 

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