चाहता है यह पागल प्यार,
अनोखा एक नया संसार!
कलियों के उच्छ्वास शून्य में ताने एक वितान,
तुहिन-कणों पर मृदु कम्पन से सेज बिछा दें गान,
जहां सपने हों पहरेदार;
अनोखा एक नया संसार!
करते हों आलोक जहां बुझ बुझ कर कोमल प्राण,
जलने में विश्राम जहां मिटने में हो निर्वाण,
वेदना मधु-मदिरा की धार;
अनोखा एक नया संसार!
मिल जावे उस पार क्षितिज के सीमा सीमाहीन,
गर्वीले नक्षत्र धरा पर लोटें हो कर दीन,
उदधि हो नभ का शयनागार;
अनोखा एक नया संसार!
जीवन की अनुभूति-तुला पर अरमानों से तोल,
यह अबोध मन मूक व्यथा से ले पागलपन भोल,
करें दृग आंसू का व्यापार;
अनोखा एक नया संसार.
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