तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा.
अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है,
तुझको किसी मज़हब से कोई काम नहीं है.
जिस इल्म ने इंसान को तक्सीम' किया है,
उस इल्म का तुझ पर कोई इल्ज़ाम नहीं है.
तू बदले हुए वक़्त की पहचान बनेगा.
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा.
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया,
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया.
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती,
हमने कहीं भारत, कहीं इरान बनाया.
जो तोड़ दे हर बंद, वो तूफ़ान बनेगा.
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा.
नफरत जो सिखाये वो धर्म तेरा नहीं है,
इंसान को रौंदे वो क़दम तेरा नहीं है.
कुरान न हो जिसमें वो मंदिर नहीं तेरा,
गीता न हो जिसमें वो हरम तेरा नहीं है.
तू अम्न और सुलह का अर्मान बनेगा.
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा.
ये दीन के ताजिर', ये वतन बेचने वाले,
इंसानों की लाशों के कफन बेचने वाले.
ये महलों में बैठे हुए कातिल, ये लुटेरे,
काँटों के इवज़ रूहे चमन बेचने वाले.
तू उनके लिए मौत का सामान बनेगा.
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा._________________ शब्दार्थ __________________
| तक्सीम=बांटना | ताजिर=व्यापारी |
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