भज हंसा हरिनाम, जगत में जीवन थोड़ा जी.
काया आई पाहुनी, हंस आय महमान.
पानी का सा बुलबुला थोड़ा सा उन्मान.
बना कागज़ का घोड़ा जी.
भज हंसा हरिनाम, जगत में जीवन थोड़ा जी.
मात पिता सुत बन्धुवा और दुलहनी नार.
यही मिले बिछड़े सभी यह शोभा दिन चार.
बना दो दिन का जोड़ा जी.
भज हंसा हरिनाम, जगत में जीवन थोड़ा जी.
राम भजन की हांसी करते,
मन में राखे पाप.
पेट पलनियाँ वे चलें,
ज्यूँ जगल के सांप.
नेह जिन हरि से तोड़ा जी.
भज हंसा हरिनाम, जगत में जीवन थोड़ा जी.
हाड़ जले ज्यूँ लाकडी, केस जले ज्यूँ घांस.
जलती चिता यूँ देख के, भये कबीर उदास.
नेह जिन हरि से जोड़ा जी.
भज हंसा हरिनाम, जगत में जीवन थोड़ा जी.
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