सुना है निर्बल के बलराम.
जब तक गज बल अपनो कीनी,
सरो न एकहु काम;
जब गज ने हरि नाम सम्हारो,
आ गए आधे नाम.
सुना है निर्बल के बलराम.
दीन होय जब द्रोपदी टेरी,
वसन रूप धरो श्याम;
बहुत साख सुनी संतन की,
अड़े संवरे सब काम.
सुना है निर्बल के बलराम.
नरसि भगत ने हुंडी पेली,
दिए रोकड़ी शाम;
कहत कबीर सुनो भई साधो,
हारे के हरि नाम.
सुना है निर्बल के बलराम.
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