तूफां कोई उठे न मेरे अहतिजाज़' से.
डरता हूँ तेरे शह्र के रस्मो रिवाज़ से.
कहते हैं एक शख्स ने कर ली है ख़ुदकुशी,
वोह इंतकाम लेने चला था समाज से.
लेना पडेगा इश्क में तर्के-वफ़ा' से काम,
परहेज इस मर्ज़ में है बेहतर इलाज़ से.
जी चाहे उसकी रहगुज़र में खड़े रहें,
इस आशिकी में हम तो गए काम-काज से.
कोई नशे में सच को छिपाता नहीं क़तील
शामिल हूँ मैं भी हल्क-ए-रिन्दाँ' में आज से.
___________________शब्दार्थ_____________________
| अहतिजाज़=विरोध/प्रतिवाद | तर्के-वफ़ा=वफ़ा छोड़ना | हल्क-ए-रिन्दाँ=शराब पीने वाले |
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