साधो, हम वासी वा देस के.
हमरे देस में चाँद न सूरज
रात दिना रहें एक से.
साधो, हम वासी वा देस के.
सुरत निरत का ताना पूरा
कपडे बुने अलेख के,
हमरा कपड़ा मंहगा बिकत है,
पहिरे संत विवेक के.
साधो, हम वासी वा देस के.
हमरे देस का मरम जो जाने,
सदा रहे सुख एक से;
कहै कबीर सुनो भई साधो,
साधू-साहिब एक से.
साधो, हम वासी वा देस के.
_____________________