पढने और संकलन का शौक ही इस ब्लॉग का आधार है... महान कवि, शायर, रचनाकार और उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ.... हमारे मित्र... हमारे गुरु... हमारे मार्गदर्शक... निश्चित रूप से हमारी बहुमूल्य धरोहर... विशुद्ध रूप से एक अव्यवसायिक संकलन जिसका एक मात्र और निःस्वार्थ उद्देश्य महान काव्य किवदंतियों के अप्रतिम रचना संसार को अधिकाधिक काव्य रसिकों तक पंहुचाना है... "काव्य मंजूषा"

Friday 29 June 2012

एकांत संगीत १५

जीवन शाप या वरदान?

सुप्त को तुमने जगाया,
मौन को मुखरित बनाया, 
करुण क्रंदन को बताया क्यों मधुरतम गान ?
जीवन शाप या वरदान?

सजग फिर से सुप्त होगा,
गीत फिर से गुप्त होगा,
मध्य से अवसाद का ही क्यों किया सम्मान ?
जीवन शाप या वरदान?

पूर्ण भी जीवन करोगे,
हर्ष से क्षण क्षण मरोगे,
तो न कर दोगे उसे क्या एक दिन बलिदान ?
जीवन शाप या वरदान?
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