जीवन में शेष विषाद रहा !
कुछ टूटे सपनों की बस्ती,
मिटनेवाली यह भी हस्ती,
अवसाद बसा जिस खँडहर में, क्या उसमें ही उन्माद रहा !
जीवन में शेष विषाद रहा !
यह खँडहर ही था रंगमहल,
जिसमें थी मादक चहल-पहल,
लगता है यह खँडहर जैसे पहले न कभी आबाद रहा !
जीवन में शेष विषाद रहा !
जीवन में थे सुख के दिन भी,
जीवन में थे दुःख के दिन भी,
पर, हाय, हुआ ऐसा कैसे, सुख भूल गया, दुःख याद रहा !
जीवन में शेष विषाद रहा !
_________________________