पढने और संकलन का शौक ही इस ब्लॉग का आधार है... महान कवि, शायर, रचनाकार और उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ.... हमारे मित्र... हमारे गुरु... हमारे मार्गदर्शक... निश्चित रूप से हमारी बहुमूल्य धरोहर... विशुद्ध रूप से एक अव्यवसायिक संकलन जिसका एक मात्र और निःस्वार्थ उद्देश्य महान काव्य किवदंतियों के अप्रतिम रचना संसार को अधिकाधिक काव्य रसिकों तक पंहुचाना है... "काव्य मंजूषा"

Thursday 14 June 2012

मेरा संबल

मैं जीवन की हर हलचल से
कुछ पल सुखमय 
अमरण अक्षय 
                    चुन लेता हूँ. 

मैं जग के हर कोलाहल में 
कुछ स्वर मधुमय 
उन्मुक्त अभय 
                    सुन लेता हूँ. 

हर काल कठिन के बंधन से,
ले तार तरल 
कुछ मुद मंगल 
मैं सुधि-पट पर 
                    बुन लेता हूँ. 

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