पढने और संकलन का शौक ही इस ब्लॉग का आधार है... महान कवि, शायर, रचनाकार और उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ.... हमारे मित्र... हमारे गुरु... हमारे मार्गदर्शक... निश्चित रूप से हमारी बहुमूल्य धरोहर... विशुद्ध रूप से एक अव्यवसायिक संकलन जिसका एक मात्र और निःस्वार्थ उद्देश्य महान काव्य किवदंतियों के अप्रतिम रचना संसार को अधिकाधिक काव्य रसिकों तक पंहुचाना है... "काव्य मंजूषा"

Monday 18 June 2012

एकांत संगीत २

             कोई गाता, मैं सो जाता.

             संसृति के विस्तृत सागर में. 
             सपनों की नौका के अन्दर. 
सुख-दुःख की लहरों पर उठ-गिर, बहता जाता, मैं सो जाता. 
             कोई गाता, मैं सो जाता. 

             आँखों में भरकर प्यार अमर,
             आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता.
             कोई गाता, मैं सो जाता. 

             मेरे जीवन का खारा जल,
             मेरे जीवन का हालाहल,
कोई अपने स्वर में मधुमय कर बरसाता, मैं सो जाता.
             कोई गाता, मैं सो जाता. 

_____________________