मैं जीवन में कुछ कर न सका.
जग में अंधियाला छाया था,
मैं ज्वाला लेकर आया था,
मैनें जल कर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका.
मैं जीवन में कुछ कर न सका.
अपनी ही आग बुझा लेता
तो जी को धैर्य बंधा लेता,
मधु का सागर लग्राता था, लघु प्याला भी मैं भर न सका.
मैं जीवन में कुछ कर न सका.
बिता अवसर क्या आयेगा,
मन जीवन भर पछतायेगा,
मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका.
मैं जीवन में कुछ कर न सका.
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