पूछता, पाता न उत्तर!
जब चला जाता उजाला,
लौटती जब विहग-माला,
प्रात को मेरा विहाग जो उड़ गया था, लौट आया?
पूछता, पाता न उत्तर!
जब गगन में रात आती,
दीप मालायें जलाती,
अस्त जो मेरा सितारा था हुआ, फिर जगमगाया?
पूछता, पाता न उत्तर!
पूर्व में जब प्रात आता,
भृंग दल मधुगीत गाता,
मौन जो मेरा भ्रमर था हो गया, फिर गुनगुनाया?
पूछता, उत्तर न पाता!
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