हाथ आकर लगा गया कोई.
मेरा छप्पर उठा गया कोई.
लग गया इक मशीन से मैं भी,
शहर में ले के आ गया कोई.
मैं खडा था की पीठ पर मेरी,
इश्तिहार इक लगा गया कोई.
अब वो अरमान है ह वो सपने,
सब कबूतर उड़ा गया कोई.
मेरा बचपन भी साथ ले आया,
गाँव से जब भी आ गया कोई.
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