पढने और संकलन का शौक ही इस ब्लॉग का आधार है... महान कवि, शायर, रचनाकार और उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ.... हमारे मित्र... हमारे गुरु... हमारे मार्गदर्शक... निश्चित रूप से हमारी बहुमूल्य धरोहर... विशुद्ध रूप से एक अव्यवसायिक संकलन जिसका एक मात्र और निःस्वार्थ उद्देश्य महान काव्य किवदंतियों के अप्रतिम रचना संसार को अधिकाधिक काव्य रसिकों तक पंहुचाना है... "काव्य मंजूषा"

Monday 25 June 2012

डाकिये

पक्षी और बादल, 
             ये भगवान् के डाकिये हैं,
             जो एक महादेश से-
             दूसरे महादेश को जाते हैं. 

हम तो समझ नहीं पाते, 
             पर उनकी लायी चिट्ठियाँ
             पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ 
             बांचते हैं. 

हम तो केवल यह आंकते हैं
             की एक देश की धरती 
             दूसरे देश को सुगंध भेजती है. 
             और वह सौरभ हवा में तैरते हए 
             पक्षियों की पाँखों पर तिरता है. 

और एक देश का भाप 
              दूसरे देश में
              पानी बनकर गिरता है. 
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