कोई नहीं , कोई नहीं!
यह भूमि है हाला भरी
मधु पात्र - मधुबाला भरी
ऐसा बुझा जो पा सके मेरे ह्रदय की प्यास को-
कोई नहीं कोई नहीं!
सुनता समझता है गगन,
वन के विहंगों के वचन,
ऐसा समझ जो पा सके मेरे ह्रदय - उच्छ्वास को-
कोई नहीं, कोई नहीं.
मधुऋतु समीरण चल पडा,
वन ले नये पल्लव खडा,
ऐसा फिरा जो ला सके मेरे गये विश्वास को-
कोई नहीं, कोई नहीं.
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