अब मत मेरा निर्माण करो.
तुमने न बना मुझको पाया.
युग युग बीते मैं घबराया.
भूलो मेरी विह्वलता को, निज लज्जा को तो ध्यान करो.
अब मत मेरा निर्माण करो.
इस चक्की पर खाते चक्कर.
मेरा तन-मन-जीवन जर्जर.
हे कुम्भकार! मेरी मिटटी को, और न अब हैरान करो.
अब मत मेरा निर्माण करो.
कहने की सीमा होती है.
सहने की सीमा होती है.
कुछ मेरे भी वश में, मेरा कुछ सोच समझ अपमान करो.
अब मत नेरा निर्माण करो.
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